भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के हर अध्याय (Chapter) में कई धाराएं (Section) शामिल हैं,क्याहैमौतकीसजाकेरूपान्तरणकाप्रावधानजानेंआईपीसीकीधारामें जो हमें अपराध (Offence) और उनके दंड (Punishment) के साथ-साथ कई मामलों की कानूनी जानकारी भी देती है. ऐसे ही आईपीसी (IPC) की धारा 54 (Section 54) 'मौत की सजा के रूपान्तरण' को परिभाषित (defined) करती है. तो चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 54 इस बारे में क्या कहती है?भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 54 (Section 54) में मौत की सजा के रूपान्तरण (Commutation of sentence of death) के विषय में जानकारी दी गई है. IPC की धारा 54 के अनुसार 'हर मामले में (In every case), जिसमें मॄत्यु का दण्डादेश (sentence of death) दिया गया हो, उस दण्ड (punishment) को अपराधी की सहमति (consent of the offender) के बिना भी समुचित सरकार (appropriate government) इस संहिता द्वारा उपबन्धित किसी अन्य दण्ड में रूपांतरित (converted to other punishment) कर सकेगी.'भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.