搜索

दुनिया बनी ऐतिहासिक पलों की गवाह, वेटिकन में मदर टेरेसा को मिली संत की उपाधि

发表于 2023-11-29 18:59:25 来源:आज की आईपीएल मैच
सारी दुनिया रविवार को एक ऐतिहासिक पल की गवाह बनी. वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी. उनका जन्म तो कहीं और हुआ,दुनियाबनीऐतिहासिकपलोंकीगवाहवेटिकनमेंमदरटेरेसाकोमिलीसंतकीउपाधि लेकिन उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया हिंदुस्तान को. सरकार की ओर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज खुद इस पल की गवाह बनीं तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहे.वेटिकन सिटी पूरी तरह से सज-धज कर इस सेरेमनी के लिए तैयार हुई थी. का रिश्ता भारत से है तो भारत में इस को लेकर जोश दुनिया से निराला है. कोलकाता में उनकी मिशनरी से लेकर बैंगलोर, रांची और जगह-जगह संत टेरेसा की प्रार्थना की जा रही है.मानवता की सेवा करने वाली संत टेरेसा का पूरा जीवन ही दीन-दुखियों के लिए था. संत टेरेसा जैसी शख्सियत मरती नहीं. आज से ईश्वर का हिस्सा बनीं ममतामयी मदर टेरेसा ने दो बार अपने चमत्कार से दुनिया को विस्मृत किया और आज भी करोड़ों लोगों के जेहन में जिंदा हैं. इसीलिए हम उन्हें संत कहते हैं.नोबेल पुरस्कार विजेता दिवंगत मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशिनरी ऑफ चेरिटी की ननों के मुताबिक मदर की लोकप्रियता के कारण रोम में होने वाले इस समारोह का दुनियाभर में विशेष महत्व था. मिशिनरी ऑफ चेरिटी की सुपीरियर जनरल सिस्टर मेरी प्रेमा के नेतृत्व में देश के विभिन्न हिस्सों से आई 40 से 50 ननों का एक समूह भी इस समारोह के दौरान मौजूद रहा.. कोलकाता के आर्कबिशप थॉमस डीसूजा के अलावा भारत से 45 बिशप इस समारोह के लिए वेटिकन में रहे. पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत का दर्जा देने की घोषणा मार्च में की थी.संत यानी सीधे ईश्वर का हिस्सा, जिनके आदर्श और बातें सीधे ईश्वर की बातें मानी जाती हैं. संत टेरेसा का जीवन एक मिसाल है. कैसे अकाल और युद्ध में घायलों के लिए उन्होंने अपनी जिंदगी दे दी. मां तो ममतामयी होती ही है, लेकिन मां जब संत की उपाधि से सम्मानित हुईं तो हमेशा के लिए अमर हो गईं. भारत के लिए मदर को मिलने वाली संत की उपाधि एक बड़े सम्मान की बात है. खुद प्रधानमंत्री ने मन की बात में इसकी चर्चा की थी.मदर टेरेसा का निधन पांच सितम्बर, 1997 को हुआ था. पोप फ्रांसिंस ने उनकी 19वीं पुण्यतिथि की पूर्वसंध्या पर मास (विशेष प्रार्थना) का आयोजन किया और इसी दौरान उन्हें संत की उपाधि दी गई. इस समारोह में पूरे इटली से करीब 1,500 बेघर लोगों को बस से रोम लाया गया और उसके बाद ‘सिस्टर्स ऑफ चैरिटी’ की 250 ननों और पादरियों द्वारा पिज्जा भोज परोसा गया. वेटिकन ने 2002 में घोषित किया था कि मदर टेरेसा के प्रार्थना करने के बाद एक भारतीय महिला के पेट का ट्यूमर चमत्कारिक रूप से ठीक हो गया था. पोप फ्रांसिस ने 2015 में ही उनके नाम एक और चमत्कार को मान्यता दे दी थी. इसके बाद उन्हें संत बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया था.राज्य की राजधानी की एक महत्वपूर्ण सड़क का नाम मदर टेरेसा के नाम पर रखा गया है. संयोग से यह फैसला वेटिकन में मदर टेरेसा को संत की उपाधि दिए जाने के समारोह के साथ हुआ. सत्यनगर और कटक-पुरी राजमार्ग को जोड़ने वाले मार्ग का नाम टेरेसा के नाम पर रखते हुए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि यह मार्ग संत मदर टेरेसा मार्ग के नाम से जाना जाएगा. पटनायक ने कहा कि वह मदर टेरेसा को संत की उपाधि दिए जाने पर दिल से श्रद्धांजलि देते हैं. वह 1929 में भारत आईं और इस देश को अपना घर बनाकर गरीबों और वंचितों की सेवा की. यह फैसला ओडिशा कैथोलिक बिशप्स काउंसिल के चेयरमैन आर्कबिशप जॉन बारवा के आग्रह पर किया गया. ओडिशा में मदर टेरेसा द्वारा गठित संस्था मिशनरीज आफ चैरिटी के 18 गृह हैं.
随机为您推荐
文章排行
友情链接
版权声明:本站资源均来自互联网,如果侵犯了您的权益请与我们联系,我们将在24小时内删除。

Copyright © 2016 Powered by दुनिया बनी ऐतिहासिक पलों की गवाह, वेटिकन में मदर टेरेसा को मिली संत की उपाधि,आज की आईपीएल मैच   sitemap

回顶部